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अपना-अपना योग

बस, यूं ही...
बस, यूं ही...
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अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर अपने-अपने तरह का योग हर किसी ने किया। आखिर योग से तनाव कम होता है और मानसिक शांति मिलती है, तो भइया जिस काम को करके मानसिक शांति मिले वही योग है।
योगी आदित्यनाथ को दूसरों की शांति भंग करके शांति मिलती है। ये भी एक तरह का योग है। शांतिभंगासन के दौरान ही उन्होंने कहा था कि जो सूर्य नमस्कार नहीं कर सकता वो समुद्र में डूबकर मर जाए। खुदा ना खास्ता अगर उन्हें खुद कभी पानी की ज़रूरत पड़ी तो काम शायद चुल्लू भर से ही हो जाए।
इंटरनेश्नल योग डे के 2 दिन पहले ही पूनम पांडे भी योगाआसन करती दिखीं। उन्होंने देह-उभारासन किया। देखते ही देखते उनके आसन ट्विटर पर ट्रेंड करने लगे। मोदी ने पहले ही उनसे संपर्क किया होता तो नाहक राजपथ पर लाउडस्पीकर लगवाने के पैसे ना फूंकने पड़ते। यकीन मानिए जिन युवाओं ने पूनम पांडे का योग देखा है उन्हें पूनम के सारे आसन, वीडियो म्यूट करके भी समझ आ गए।
ट्विटर पर योग दिवस के दिन सुबह से ही सोनिया गांधी भी ट्रेंड करती दिखीं। भक्त पूछ रहे थे ‘व्हेयर इज़ सोनिया’ ? बाद में पता चला कि वो तो हठासन पर थीं। दरअसल वो नाराज़ थीं आयुष मंत्रालय से। अरे भाई, विदेशी चटाई आनी ही थी तो चीन से क्यों इटली से क्यों नहीं। फिर वो तो स्पेशल डिस्काउंट भी दिलवा देतीं।
लालू भले ही किसी इवेंट में ना गए हों पर विरोधासन उन्होंने भी किया। अंतर्राष्ट्रीय योग डे को अंतर्राष्ट्रीय तोंद दे डिक्लेयर करने में दरअसल उनकी एक चाल थी। मोदी सहित तमाम बीजेपी नेताओं को एक तरफ खड़ा कर दीजिए और दूसरी तरफ लालू को। मजाल है तोंद के मामले में कोई हरा दे। तो लब्बोलुबाब ये है कि 21जून को अंतर्राष्ट्रीय तोंद डे है… तोंद के मामले में लालू मोदी से ऊपर हैं…इसलिए राज योग लालू का है।
उधर बाबा रामदेव के लिए 21 जून कुछ खास स्पेशल नहीं था, आखिर वो रोज़ योग जो करते हैं। पर उनका दावा है कि दुनिया अगर उनके आसनों का पालन करे तो गैस की समस्या से हमेशा के लिए मुक्त हो जाएगी। अब हाई-फाई बाबा को कौन समझाए कि खाली पेट भी गैस बनती है। गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के लिए सरकार ने जितने लोगों को राजपथ पर इकट्ठा किया उससे कई गुना ज्यादा गरीब तो हर रोज़ देश में भूखा सोता है। ऐसे में गैस ना बने तो क्या बने। रामदेव जो कर रहे हैं उसके लिए साधुवाद लेकिन गरीबी मिटाने वाला अगर कोई योग वो इजाद कर पाएं तो देश का बड़ा भला होगा। इसके बाद शायद योग करने के लिए लोगों को डंडा नहीं करना पड़ेगा। हर रोज़ देश के करोड़ों भूखे पूरे मनोयोग से योग करेंगे।

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